Monday, March 30, 2009

मेरा गाँव......................


गाँव का जिक्र आते ही मेरा मन प्रफुल्लित हो जाता है । जब भी मौका मिलता है मै तुंरत अपने गाँव की तरफ़ चल देता हूँ। जब भी मै कोई गाँव देखता हूँ तो अपने गाँव की याद आने लगती है, ऐसा लगने लगता है की वो मुझे अपने पास बुला रहा है। गाँव का सीधा-साधा जीवन , सीधे-साधे लोग , मुझे शुरू से ही प्रिय रहा है । सच ही कहा गया है की भारत की आत्मा गाँव में बसती है लेकिन सच कहूँ तो ये आत्मा आज दुखी है।वजह तो सब लोग जानते ही है। आज मजबूरी में लोग गाँव को छोड़कर शहरों की तरफ़ जाने को मजबूर हो रहे है । ये सीधे-साधे ग्रामीण जब शहरों में जाते है तो वहा पे इनके साथ अच्छा ब्यवहार नही होता है। यार आप ही बताओ कोई अपना घर छोड़ के जाना चाहता है, नही न।


अपने गाँव की याद में एक छोटी सी कविता लिखी है मैंने,,,,,,,,,,,,,,,,


याद फिर आने लगा है मुझको मेरा गाँव


कुछ टूटते कुछ टूटे घरों का गाँव


कुछ मंदिरों कुछ मस्जिदों और शिवालों का गाँव


सरसों के खेत और आम के बागों का गाँव


वो बड़ा तालाब और उसके अंदर मछलियाँ


बैठकर मछली पकड़ते बच्चों का गाँव


दादा-दादी और मेरे बुजुर्गों का गाँव


मुझे चाचा-भइया कहने वाले बच्चों का गाँव


मुझको अपने पास बुलाने वाला मेरा गाँव


याद फिर आने लगा है मेरा गाँव



1 comment:

Adhinath said...

aap ne to bilkool gaon ko blog par utar diya bhai.............
aakhir mujhe bhi yaad aa hi gaya aaj mera gaaon.......achhi likhi hai...