Monday, May 19, 2008

आख़िर कब तक

पिछले कुछ समय से देश मे आतंकवादी घटनाये जिस तेजी से घट रही है उससे आतंकवादियों के दुस्साह्श का पता चलता है। निश्चित रूप से ऐसी घटनाओ को एकदम से रोका नही जा सकता है ,लेकिन उचित कानून बनाकर इस को कम किया जा सकता है। ऐसी घटनाओ का मकसद देश मे साम्प्रदायिक दंगे कराना हो सकता है क्योंकि ज्यादातर बम विस्फोट की घटनाएँ धार्मिक स्थलों के आस-पास ही हुई है। इस तरह की गिरी हुई हरकतें मानवता के ख़िलाफ़ होती है और ऐसे लोगो का कोई धर्म -इमान नही होता है। इन्हें सिर्फ़ मानवता के दुश्मन के रूप मे ही देखना चाहिए। जब भी ऐसी घटनाएँ होती है तो राज्य और केन्द्र एक दूसरे पर आरोप लगाने लगते है। देश की आत्मा यानि संसद से लेकर राज्यों की राजधानियों तक का जिगर जख्मी है ,अब ये नासूर बने इससे पहले सरकार को कुछ नए कानून बनाने के साथ देश की न्याय ब्यवस्था को भी बदलना होगा ताकि ऐसी घटनाओ को रोका जा सके। अगर ऐसा नही हुआ तो जिगर भी जख्मी होगा और कंधार भी होगा।

Wednesday, May 14, 2008

सस्ता हुआ खून

पिछले दिनों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खून से तौला गया। लड्डुओं और सिक्कों से तौलने का चलन तो भारतीय राजनीति मे काफ़ी पहले से था लेकिन खून से तौलने का रिवाज शायद अभी नया आया है। खैर जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है और जरूरी चींजे लोगों से दूर होती जा रही है ऐसे मे खून ही सबसे सस्ता है शायद इसीलिए ऐसा किया जा रहा है। हां तो बात खून की हो रही है , ये वही खून है जिसे कभी सरहदों पर सेना के जवान देश की सीमाओं की रक्षा करते वक्त बहा देते है तो कभी लोकल ट्रेन मे यात्रा कर रहे लोगों को आतंकवादी घटनाओं मे मार कर बहाया जाता है,कभी बाबरी मस्जिद काण्ड खून बहने का कारण बनता है तो कभी गोधरा मे खेली जाती है खून की होली। बात कुछ भी हो लेकिन यह कितना अजीब लगता है की किसी ब्यक्ति को खून से तौला जा रहा है और वह ब्यक्ति कैमरों के लेंसों के सामने हँसते हुए तराजू के पलडे मे कभी ऊपर तो कभी नीचे हो रहा है। बहरहाल आज भारतीय राजनीति मे चाटुकारिता हावी है और हो सकता है कल नेताओं को खुस करने के लिए कोई नया तरीका अपना लिया जाए। अरे भाई वैशाविकरण और उदारीकरण का दौर है तो राजनीति मे भी तो परिवर्तन होंगे ही। जय हो राजनेताओं की...................................