Tuesday, March 31, 2009

पाश का मोहपाश


मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नही होती

पुलिस की मार सबसे खतरनाक नही होती

गद्दारी लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नही होती

बैठे-बिठाये पकड़े जाना बुरा तो है

सहमी सी चुप्पी में जकडे जाना बुरा तो है

पर सबसे खतरनाक नही होता

सबसे खतरनाक होता है

मुर्दा शान्ति से मर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना

घर से निकलना काम पर

और काम से लौटकर घर आना

सबसे खतरनाक होता है

हमारे सपनों का मर जाना

सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है

आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो

आपकी नज़र में रुकी होती है

सबसे खतरनाक वह आँख होती है

जो सब कुछ देखते हुए भी जमी बर्फ होती है

जिसकी नज़र दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है

जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पे ढलक जाती है

जो रोजमर्रा के क्रम की पीती हुई

एक लयहीन दोहराव के उलटफेर में खो जाती है

सबसे खतरनाक वह रात होती है

जो जिन्दा रूह के आसमानों पर ढलती है

जिसमे सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआ-हुआ करते गीदड़

हमेशा वे अंधेरे बंद दरवाजों और चौखटों पर चिपक जाते है

सबसे खतरनाक वह दिशा होती है

जिसमे आत्मा का सूरज डूब जाए

और उसकी मुर्दा धुप का कोई टुकडा

आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए

-पाश

1 comment:

Adhinath said...

wah yaar apne to jehan ko chhu liya..............bejor.