Monday, August 10, 2009

बात-बात में .........................

कुल मिलाकर संसद का ये सत्र कुछ मायनो में ठीक-ठाक ही रहा। कम से कम मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का विधेयक आ पाया। सरकार बनने के समय जो १०० दिनों का एजेंडा लाया गया था , उ़समे मानव संसाधन विकास मंत्रालय ही कुछ काम कर पाया जबकि बाकी मंत्रालयों का हाल बुरा ही रहा। सबसे ज्यादा शोर-शराबा देश के महान नेताओं की सुरक्षा के मुद्दे पे रहा। भाई इनकी जान को खतरा भी तो है बेचारे जनता और देश के लिए इतना जोखिम जो उठा रहे है।ये अलग बात है की जनता की सुरक्षा से इनको कोई सरोकार नही है, क्योंकि उनके लिए भगवानतो है ही। इधर महंगाई और सूखे ने लोगों को बेहाल कर रखा है जबकि हमारे माननीय वित्त मंत्री और कृषि मंत्री को इसकी ख़बर ही नही, कह रहे है की ये मौसमी महंगाई है। इस बार उत्तर प्रदेश में फिर ऐतिहासिक घटना घटी, दो महिलाओं में संघर्ष हुआ, एक ने कुछ कहा तो दूसरी तरफ़ से जवाब में उनका घर ही जला दिया गया। ये आज की राजनीति है , अब देखना ये है की इसके आगे क्या होता है। खैर एक बात जो सत्य है की छोटे दलों ने राजनीति को गन्दा ही किया है, सिर्फ़ अपने छोटे स्वार्थों के लिए। अब वक्त आ गया है की सिर्फ़ राष्ट्रीय दल ही सरकार बनाये। माना की राष्ट्रीय दलों का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नही रहा है लेकिन वो फिर भी इन छोटे दलों से बेहतर ही रहेंगे।

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