Wednesday, April 15, 2009

घोषणा पत्र - ख्वाब या हकीकत

अब जबकि लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान कल यानि १६ अप्रैल को होने जा रहा है ऐसे में राजनितिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों का थोड़ा जिक्र कर ही लेते हैं। देश के दो शीर्ष राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने घोषणा पत्रों में खूब लुभावने वादे किए है। कोई गाँव को इन्टरनेट से जोड़ने की बात कर रहा है तो कोई सभी नागरिकों के लिए स्मार्ट कार्ड नामक पहचान पत्र की बात कह रहा है।कोई १०,००० रुपये में लैपटॉप दिला रहा है तो कोई निजी क्षेत्र में आरक्षण और सस्ते में चावल दिलाने की बात कर रहा है। कुल मिलकर हर तरफ़ वादों की धूम मची है। अब वादा पूरा होगा या नही ये तो भविष्य ही तय करेगा हालाँकि इतिहास तो ख़राब ही रहा है आजतक। वैसे भी सभी जानते है की वादे पूरे करने के लिए नही किए जाते है। कुछ पार्टियाँ तो बहुत समझदार है, उंहोने कोई वादा ही नही किया, जो भी करना होगा परिणामों के बाद करेंगे, ये कुछ ब्यवहारिक बात हुई। एक बात जो सबमे है की किसान और कृषि पर किसी का ध्यान नही है। वैसे भी किसी भी दल को सरकार बनाने लायक बहुमत तो मिलने से रहा, ऐसे में घोषणा पत्र का क्या महत्व रह जाता है। अब तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा की खिचडी बनेगी या फिर मिक्स वेज। मेरे ख्याल से इसमे ये लिख देना चाहिए की '' समय और जरुरत के हिसाब से इसमे परिवर्तन किया जा सकता है। '' सच कहा जाए तो ये एक गंभीर विषय है और इस पर सभी को खासकर राजनीतिज्ञों को विचार करना चाहिए । जनता आपको चुनती है और आप जनता को धोखा देते है, ये निश्चित रूप से निंदनीय है। इधर चुनाव आयोग भी अपना सारा हिसाब-किताब चुकता कर रहा है। खोज-खोज के नेताओं के ख़िलाफ़ मुकदमे दर्ज करा रहा है। ये अलग बात है की किसी भी नेता को आजतक ऐसे मामलों में सजा नही मिली है। बच्चे के जब दांत निकलतें है तो वो खूब काटता है ऐसा ही कुछ चुनाव आयोग कर रहा है। आजकल हर न्यूज़ चैनल सरकार बनवाने में लगा है। कोई राजग की बनवा रहा है तो कोई यू पी ऐ की। सब ''खुल्ला खेल फर्रुखाबादी '' खेलने में लगे है। खैर और कुछ नही तो कम से कम पुराने घोषणा पत्रों के ऊपर नया वाला रख दिया जाएगा, जरुरत हुई तो कभी उलट-पुलट लिया जाएगा नही तो आराम से धूल तो अवश्य खायेगा। चलिए कुछ अपने खाने की चिंता कर ले नही तो वादे के चक्कर में कुछ न मिलेगा। किसी शायर ने दुरुस्त ही फ़रमाया है ................
''ये न थी हमारी किस्मत की विसाले यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।''

1 comment:

Adhinath said...

bilkool ghoshna patron me niche likha hona chahiye ki uprokt ssari baaten kalpnik hai tatha iska wastawik baaton se koi wasta nahi hai...............