Tuesday, December 2, 2008

कहा है हम................

अभी देश में ६ राज्यों के विधान सभा चुनाओं की प्रक्रिया चल रही है, कुछ-एक राज्य में मतदान होना बाकी है। कहा जा रहा है की इन चुनाओं की छाप अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाओं पर पड़ेगी। जाहिर है भाजपा और कांग्रेस के लिए ये सेमीफाइनल है । आज हम किस संकट में है इसको समझना मुश्किल नही है। देश का हर नागरिक इसके बारे में ज्यादा नही तो थोड़ा-बहुत तो जानता ही है,मसलन महंगाई, गरीबी,बेरोजगारी, अपराध ,भ्रस्टाचार,कुपोषण आदि। ये तो सिर्फ़ बानगी भर है वरना अगर मै सब लिखने बैठ जाऊँ तो कई पेज भर जायेंगे। यार ऐसे में एक चीज मै नही समझ पाया कि आख़िर चुनाओं में ये सब मुद्दे क्यों नही होते है? हर बार एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश, हर बार भावनाओं को भड़काना, वही जात-पात, वही धर्मं और समुदाय की बात करना । अरे भाई देश की बात और देश की जनता की बात करो, इंसानियत की बात करो , लोगों को तोड़ने की जगह उनको जोड़ने की बात करो। यार विकास की बात करो, क्योंकि जब तक लोगों का विकास नही होगा, लोग सशक्त नही होंगे,तब तक न तो देश आगे बढेगा और न ही देश की जनता। आज हर कोई युवाओं की बात करता है लेकिन इस देश में युवाओं के लिए कोई कोई नीति नही है, बच्चे किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी धरोहर होते है लेकिन इस देश के बच्चों की हालत किसी से छुपी नही है । जहाँ भूख की वजह से जाने जाती हो ,जहाँ माँ-बाप अपने बच्चों को इसलिए मार देते हो की उनके पास खिलाने के लिए खाना नही होता है ,उस लोकतान्त्रिक देश में चुनाव इन मुद्दों पे नही होते है। भारतीय राजनीति में जो गिरावट आई है उसके लिए किसी और को दोष देने से पहले हमें अपने योगदान के बारे में भी सोचना होगा। ठीक है की ५ साल में हमें एक बार ही ये मौका मिलता है की हम सही सरकार का चुनाव कर सके लेकिन हम इसके प्रति कितने गंभीर है ये भी हम जानते है। सिर्फ़ कमरों में बैठकर कोसने से कुछ नही होने वाला, परिवर्तन लाने के लिए पहले ख़ुद को बदलना होगा। अगर अभी भी न समझेंगे तो फिर बहुत देर हो जायेगी और आगे आने वाली पीढियां हमें माफ़ नही कर पाएँगी। यही वक्त है कुछ करने का क्योंकि जब भी उठ खड़े हो तो वही सही वक्त होता है वरना सही वक्त का इन्तजार ही करते रह जायेंगे..............................फिर मिलते है............................

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