Sunday, March 9, 2008

राज की गुंडागर्दी

आज महाराष्ट्र मे राज ठाकरे जो कर रहे है वह सिर्फ़ गन्दी राजनीति है। अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए लोगों को आपस मे लड़ाने का काम ऐसे लोग ही करते है। समझ मे नही आता की जब विदर्भ मे इतने किसान आत्महत्या कर रहे थे , उस वक्त ये कहा थे? लगता है की इनको देश के संविधान की जानकारी नही है जो इस देश के नागरिको को को देश के अंदर कही भी रहने ,कोई भी रोजगार करने और कही भी निवास करने की आजादी देता है।अपने इस तरह के कार्यो से वह न सिर्फ़ देश के संविधान को चुनौती दे रहे है बल्कि गृहयुद्ध उत्त्पन्न करने की कोशिश कर रहे है। आख़िर कब तक लोगों को आपस मे लड़ाकर राजनीति का गन्दा खेल खेला जाता रहेगा?
आज हमे किसी वर्ग की अलग पहचान तय करने से पहले एक राष्ट्र की पहचान को तय करना होगा। समझ नही आता की धर्म ,जाति और प्रांत के आधार पर अलग -अलग पहचानो की जरुरत ही क्यो पड़ी। हिन्दी है हम,वतन है हिन्दोस्तान हमारा , काफ़ी नही था?

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