ये उत्तर प्रदेश है और मै बात करने जा रहा हूँ लखनऊ की जो की यू पी की
राजधानी है,ख़राब सड़के,तंग होते रास्ते और अराजक होता यातायात यहाँ की
पहचान बन गया है,जिसकी जितनी बड़ी गाडी उसकी उतनी ज्यादा हनक,मन करे तो वो
किसी के भी ऊपर गाडी चढ़ा दे,और अगर उसपे सत्ताधारी दल का झंडा हो तो फिर तो
यातायात पुलिस भी उनके लिए मायने नहीं रखती,वो कानून को जेब में रखते
है,प्रेसर हार्न ,हूटर लगाना स्टेटस सिम्बल बन गया है भले
ही उससे आपका कान फट जाए,बाकी जगहों का हाल भी भगवान् भरोसे ही है,कुल
मिलाकर क़ानून का पालन न हो रहा है और न पालन करवाने की इच्छाशक्ति नज़र आ
रही है.अक्सर दिल्ली जाते समय रात में मथुरा के आगे पुलिस वाले गाड़ियों से
वसूली करते मिल जायेंगे.ये हाल कमोबेश हर जगह का है.हालांकि क़ानून ब्यस्था
दुरुस्त करने के लिए इच्छाशक्ति ही काफी होती है,जिसका की अभाव है.बिजली
की हालत भी दयनीय हो गयी है,पिछली सरकारों ने वादे तो खूब किये लेकिन काम न
किया,पूर्वांचल में हजारों बच्चे जे इ बुखार से मर रहे है लेकिन इनपे
राजनीति बदस्तूर जारी है ,जाहिर है मरने वालों में गरीब ज्यादा है ,अमा
अमीर लोग बीमारी से कहाँ मरते है.कुल मिलाकर हालात पे रोना आता है ,फिलहाल
बदलाव की बात हो रही है लेकिन अभी इंतज़ार लंबा है.नयी सरकार के मुखिया ने
कुछ उम्मीद जगाई है लेकिन उनके मंत्रीगड़ गुडगोबर करने में लगे है,ऐसा
प्रतीत हो रहा है जैसे की सत्ता के कई केंद्र बन गए है ,अगर ऐसा हुआ तो ये
ठीक नहीं होगा,गाँव की हालत और बदतर है,लोग गर्मी में पानी - बिजली की
किल्लत झेल रहे हैं.किसानो की हालत भी पतली ही है,पुलिस वाले पहले की ही
तरह गुंडई कर रहे है,आप का जवाब गालियों से देना उनका जन्मसिद्ध अधिकार हो
गया है,खाकी दागदार हो रही है,और सबसे बड़ी बात इस भ्रस्टाचार की जिसने जीना
मुश्किल कर दिया है,वही महंगाई ने खाना ही कम कर दिया,खुद ही वजन घटने लगा
है. बात कुछ यूँ है की.....................
आज सोचा तो आंसू भर आये
मुद्दते हो गयी मुस्कुराये .
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आज सोचा तो आंसू भर आये
मुद्दते हो गयी मुस्कुराये .
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1 comment:
bhaut aache bhaut sahi likha aapne keep it up bhai
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