वादों और इरादों की इसमें खूब दुहाई है ,
होने न होने के बीच एक गहरी खाई है ,
क्योंकि इसमें नीचे टर्म्स एंड कंडीशन अप्लाई है।
common problems of common people.
नत करदो मस्तक मेरा अपनी चरण-धूल में,
अंहकार डूबा दो मेरा सारा अश्रूजल में।
करने स्वयं को गौरव-दान करता केवल निज अपमान,
बार बार चक्कर खा-खाकर मरता हूँ पल-पल में।
अंहकार डूबा दो मेरा सारा अश्रूजल में।
नींद इस सोच से टूटी अक्सर
किस तरह कटती हैं रातें उसकी - परवीन शाकिर
ऐसे मौसम भी गुजारे हमने
सुबहें जब अपनी थीं शामें उसकी - परवीन शाकिर
आंखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते
अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते - अकबर इलाहाबादी
अब ये होगा शायद अपनी आग में खुद जल जायेंगे
तुम से दूर बहुत रह कर भी क्या पाया क्या पायेंगे - अहमद हमदानी
ये खुले खुले से गेसू, इन्हें लाख तू सँवारे
मेरे हाथ से संवरते, तो कुछ और बात होती- आगा हश्र
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी
कुछ मुझे भी खराब होना था - मजाज लखनवी
न जाने क्या है उस की बेबाक आंखों में
वो मुंह छुपा के जाये भी तो बेवफा लगे- कैसर उल जाफरी
किसी बेवफा की खातिर ये जुनूं फराज कब तलक
जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ- अहमद फ़राज
काम आ सकीं न अपनी वफायें तो क्या करें
इक बेवफा को भूल न जायें तो क्या करें- अख्तर शीरानी
इस से पहले कि बेवफा हो जायें
क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जायें- अहमद फराज
इस पुरानी बेवफा दुनिया का रोना कब तलक
आइए मिलजुल के इक दुनिया नई पैदा करें- नजीर बनारसी
हम अक्सर दोस्तों की बेवफाई सह तो लेते हैं
मगर हम जानते हैं दिल हमारे टूट जाते हैं- रोशन नंदा